ज्ञानेश कुमार बने नए मुख्य चुनाव आयुक्त: चुनाव प्रक्रिया को लेकर दिए महत्वपूर्ण संकेत
नई दिल्ली, 18 फरवरी 2025: भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में वरिष्ठ नौकरशाह ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति की गई है। उनकी नियुक्ति के साथ ही आगामी चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ भी की गई हैं।
ज्ञानेश कुमार का कार्यकाल और अनुभव
ज्ञानेश कुमार एक अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। इससे पहले वे केंद्रीय गृह मंत्रालय और कैबिनेट सचिवालय में उच्च पदों पर सेवाएँ दे चुके हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत में आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियाँ जोरों पर हैं।
चुनाव सुधारों पर ज़ोर
मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभालते ही ज्ञानेश कुमार ने चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उनके अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के माध्यम से चुनावी पारदर्शिता को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा।
आगामी चुनावों की तैयारियाँ
आगामी आम चुनावों के संदर्भ में, ज्ञानेश कुमार ने कहा कि निर्वाचन आयोग सभी राज्यों के चुनाव अधिकारियों के साथ मिलकर व्यापक समीक्षा करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी अव्यवस्था या अनियमितता न हो। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आचार संहिता का सख्ती से पालन किया जाएगा और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वालों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
डिजिटल मीडिया और चुनाव
मुख्य चुनाव आयुक्त ने डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर भी जोर दिया और कहा कि फेक न्यूज़ और चुनावी दुष्प्रचार को रोकने के लिए सख्त उपाय किए जाएंगे। इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई जा रही है ताकि गलत सूचना फैलाने वालों पर कार्रवाई की जा सके।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर विभिन्न राजनीतिक दलों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कुछ दलों ने उनके प्रशासनिक अनुभव की सराहना की है, जबकि कुछ ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए आयोग पर अधिक जवाबदेही तय करने की माँग की है।
निष्कर्ष
ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। आगामी चुनावों में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भारतीय चुनाव प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाते हैं।