NEWS DIWAR

NEWSWALA

भारत में अंगूर की खेती: उच्च उत्पादन और मुनाफे के लिए सम्पूर्ण गाइड | Grape Farming in India

Photo of author

By Newswali

अंगूर की खेती भारत में एक लाभदायक कृषि व्यवसाय है, क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी इसके लिए अनुकूल हैं। इस गाइड में हम भारत में अंगूर उगाने की संपूर्ण प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे।

1. सही किस्म का चयन करें

अच्छी उपज और गुणवत्ता के लिए सही अंगूर की किस्म चुनना बहुत जरूरी है। भारत में लोकप्रिय किस्में हैं:

  • Thompson Seedless (टेबल और किशमिश उत्पादन)
  • Anab-e-Shahi (टेबल अंगूर)
  • Bangalore Blue (जूस और वाइन उत्पादन)
  • Flame Seedless (टेबल अंगूर)
  • Sharad Seedless (उच्च उपज और बेहतर गुणवत्ता)

2. जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएं

  • जलवायु: अंगूर की खेती के लिए शुष्क और गर्म जलवायु उत्तम होती है। आदर्श तापमान 15°C से 35°C के बीच होना चाहिए।
  • मिट्टी: रेतीली-दोमट से लेकर चिकनी-दोमट मिट्टी जिसमें pH 6.5 से 7.5 हो, सबसे उपयुक्त होती है।
  • धूप: अच्छी गुणवत्ता और अधिक उपज के लिए पर्याप्त धूप आवश्यक है।

3. भूमि की तैयारी और रोपण

  • भूमि की तैयारी: गहरी जुताई (1 मीटर तक) और समतलीकरण करें।
  • रोपण का समय: सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जनवरी के बीच होता है।
  • रोपण विधि: पौधों को 60x60x60 सेमी के गड्ढों में जैविक खाद और टॉपसॉइल के साथ लगाएं।
  • पंक्तियों में दूरी: 3m x 3m या 3m x 2m, किस्म के अनुसार।

4. सिंचाई प्रबंधन

  • Drip Irrigation (टपक सिंचाई) पद्धति अपनाएं ताकि जल की बचत हो।
  • सिंचाई का समय:
    • गर्मी में प्रति सप्ताह सिंचाई करें।
    • फलों के पकने के दौरान पानी कम करें ताकि गुणवत्ता बनी रहे।

5. ट्रेलिसिंग और प्रशिक्षण

  • अंगूर के पौधों को सहारे (trellis या pergola) की आवश्यकता होती है।
  • लोकप्रिय प्रशिक्षण प्रणालियाँ:
    • Kniffin System (सूरज की रोशनी के लिए उपयुक्त)
    • Y-Trellis (टेबल अंगूर के लिए पसंदीदा)
    • Bower System (भारत में प्रचलित)

6. उर्वरक और पोषक तत्व प्रबंधन

  • जैविक खाद: प्रत्येक बेल में 10-15 किलोग्राम गोबर खाद डालें।
  • रासायनिक उर्वरक: मिट्टी परीक्षण के आधार पर NPK (Nitrogen, Phosphorus, Potassium) का प्रयोग करें।
  • सूक्ष्म पोषक तत्व: जिंक, बोरॉन और मैग्नीशियम आवश्यक हैं।

7. कीट और रोग प्रबंधन

  • आम कीट:

    • Mealybugs (मिलीबग)
    • Thrips (थ्रिप्स)
    • Grape Berry Moth (अंगूर बेरी कीट)
  • रोग:

    • Powdery Mildew (पाउडरी मिल्ड्यू)
    • Downy Mildew (डाउनी मिल्ड्यू)
    • Anthracnose (एन्थ्रेक्नोज)
  • नियंत्रण उपाय:

    • जैविक कीटनाशकों या नीम के तेल का छिड़काव करें।
    • सल्फर या कॉपर आधारित फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।
    • उचित छंटाई और हवा के संचरण को बनाए रखें।

8. छंटाई और कैनोपी प्रबंधन

  • बेलों के स्वास्थ्य और उपज को बनाए रखने के लिए छंटाई आवश्यक है।
  • छंटाई के प्रकार:
    • ग्रीष्मकालीन छंटाई (बेहतर वायुप्रवाह के लिए)
    • शीतकालीन छंटाई (अधिक वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए)

9. कटाई और उपज

  • कटाई का समय: फूल आने के 90-120 दिनों बाद।
  • उपज:

    • टेबल अंगूर: 20-30 टन प्रति हेक्टेयर।
    • वाइन अंगूर: 10-20 टन प्रति हेक्टेयर।
  • कटाई की विधि: हाथ से तोड़ना सबसे उपयुक्त होता है ताकि फलों को नुकसान न पहुंचे।

10. कटाई के बाद हैंडलिंग और मार्केटिंग

  • भंडारण: अंगूर को 0-2°C तापमान पर 1-2 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • पैकेजिंग: हवादार कार्टन का उपयोग करें।
  • बाजार में बिक्री: बाजार, रिटेल विक्रेताओं और प्रसंस्करण उद्योगों को सीधे बेचें।
निष्कर्ष

भारत में अंगूर की खेती सही तकनीकों और प्रबंधन के साथ एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है। सही किस्म चुनकर, उचित सिंचाई और रोग नियंत्रण उपायों को अपनाकर, और समय पर कटाई करके किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।


यह भी चेक करे:-19 मार्च 2025: भारत के प्रसिद्ध शहरों में आज का मौसम – Climate और Travel Tips-Click here

मैं एक अनुभवी पत्रकार हूं और समाचार मीडिया उद्योग में मेरा पांच वर्षों से अधिक का अनुभव है। अंतर्दृष्टि को उजागर करने और आकर्षक कहानियां बताने में रुचि रखने वाली मेरी विशेषज्ञता विभिन्न क्षेत्रों को कवर करने में है, जिनमें मोटर वाहन उद्योग, कृषि, व्यापार और रोजगार के रुझान शामिल हैं। इन क्षेत्रों की बारीकियों को गहराई से जानने के जुनून के साथ, मैं जानकारीपूर्ण, अच्छी तरह से शोध किए गए लेख प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध हूं जो पाठकों को आगे रखते हैं। विस्तार पर गहरी नजर रखने और कम रिपोर्ट किए गए विषयों को प्रकाश में लाने की इच्छा के साथ, मैं प्रभावशाली और व्यावहारिक समाचार प्रदान करने का प्रयास करती हूँ।

दोस्तों को भेजे:

Leave a Comment