भारत जैसे कृषि प्रधान देश में महिलाओं की भूमिका खेती में सबसे महत्वपूर्ण है। फिर भी, महिला किसान (Women in Farming) को आज भी वह पहचान नहीं मिल पाई है जिसकी वे हकदार हैं।
आज भारत की खेती का 60% से ज्यादा काम महिलाओं द्वारा किया जाता है, फिर भी उन्हें आधिकारिक रूप से “किसान” नहीं माना जाता।
महिलाओं की कृषि में मुख्य भूमिका:-Women in Farming
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खेती के हर स्तर पर भागीदारी
बुआई, निराई-गुड़ाई, सिंचाई, कटाई, मवेशी पालन, बीज संरक्षण, खाद्य प्रसंस्करण — हर काम में महिलाएं आगे रहती हैं। -
पशुपालन और डेयरी
गाय-भैंस पालन, मुर्गी पालन, और दुग्ध उत्पादन में महिलाएं बड़ी भूमिका निभाती हैं। -
बीज संरक्षण और रसोई बागवानी (Kitchen Garden)
महिलाएं देशी बीज बचाने और पोषण के लिए किचन गार्डन में विविध फसलें उगाने में माहिर होती हैं।
महिला किसानों की प्रमुख समस्याएं
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कानूनी पहचान की कमी
ज्यादातर महिलाएं खेत में काम करने के बावजूद, किसान की आधिकारिक पहचान नहीं रखतीं, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। -
जमीन पर अधिकार की कमी
बहुत कम महिलाओं के नाम पर जमीन होती है, जिससे उनका आत्मनिर्भर होना मुश्किल होता है। -
तकनीक और जानकारी की कमी
महिलाओं को नई कृषि तकनीक, सरकारी ट्रेनिंग, और मार्केटिंग की जानकारी नहीं मिल पाती। -
वित्तीय साधनों की अनुपलब्धता
कृषि ऋण (Agriculture Loan), बीमा, और सब्सिडी तक महिलाओं की सीमित पहुँच होती है।
महिला किसान सशक्तिकरण के सरकारी प्रयास
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(Mahila-Kisan-Sashaktikaran-Pariyojana – MKSP)महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना
महिलाओं को संगठित करने, कृषि प्रशिक्षण, और आर्थिक सहायता देने की योजना। -
सेल्फ हेल्प ग्रुप (Self Help Groups – SHG) और महिला किसान उत्पादक संगठन (FPO)
महिलाएं संगठनों के माध्यम से सामूहिक खेती और बाजार तक पहुंच बना सकती हैं। -
संयुक्त भूमि स्वामित्व (Joint Land Titles)
महिला और पुरुष दोनों के नाम पर संयुक्त भूमि रजिस्ट्रेशन की सुविधा।
महिला किसानों के सशक्तिकरण के उपाय
- महिला किसान की पहचान सुनिश्चित करना।
- भूमि स्वामित्व में महिलाओं की भागीदारी।
- टेक्नोलॉजी और कृषि ट्रेनिंग की सुविधाएं।
- आर्थिक सहायता जैसे क्रेडिट, बीमा और सब्सिडी में प्राथमिकता।
- मार्केट लिंक और महिला नेतृत्व को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष (Conclusion)
आज भारत में महिला किसानों (Mahila Kisan) को पहचान, संसाधन और समर्थन देने की जरूरत है।
यदि महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी रूप से सशक्त किया जाए, तो भारत की कृषि और ग्रामीण विकास को नई दिशा मिल सकती है।
समय है कि हम हर महिला को “किसान” के रूप में मान्यता दें और उनके हक और हिम्मत दोनों को मजबूत करें।
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