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Land Use Conflicts और Renewable Energy: कैसे Clean Energy Expansion और Community Rights के बीच संतुलन बनाना जरूरी है?

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By Newswali

भारत तेजी से Renewable Energy की ओर बढ़ रहा है ताकि Climate Change से निपटा जा सके और बढ़ती Energy Demand को पूरा किया जा सके। हालांकि, यह बदलाव Land Use Conflicts को जन्म दे रहा है, खासतौर पर जब Agricultural Land और Forest Areas को Solar और Wind Energy प्रोजेक्ट्स के लिए अधिग्रहित किया जा रहा है। किसान, Indigenous Communities और पर्यावरणविद् इन Large-Scale Developments के Socio-Economic और Ecological Impact को लेकर चिंता जता रहे हैं।

Land Use Conflicts के मुख्य कारण:-

  1. Agricultural Land का Renewable Energy Projects के लिए Conversion
    बड़े पैमाने पर Solar Farms और Wind Power प्रोजेक्ट्स को कृषि भूमि पर विकसित किया जा रहा है, जिससे किसानों को अपनी Primary Source of Income छोड़नी पड़ रही है। Productive Farmland Loss एक बड़ी समस्या बन चुकी है, खासकर महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में।

  2. Indigenous Communities और Biodiversity पर प्रभाव
    कई Renewable Energy प्रोजेक्ट्स Tribal Lands और Eco-Sensitive Zones में विकसित किए जा रहे हैं, जिससे Sustainable Livelihoods पर खतरा मंडरा रहा है। Grasslands और Wildlife Habitats की बर्बादी Biodiversity Loss को जन्म दे रही है और Ecological Balance भी प्रभावित हो रहा है।

  3. Compensation और Rehabilitation से जुड़ी समस्याएँ
    कई किसानों और ज़मीन मालिकों को Fair Compensation या उचित Resettlement Plans नहीं मिलते हैं। कई बार Stakeholder Consultation के बिना भूमि अधिग्रहण कर लिया जाता है, जिससे Legal Disputes और विरोध प्रदर्शन होते हैं।

  4. Regulatory Gaps और Policy Uncertainty
    अस्पष्ट Land Acquisition Laws और असंगत State Policies से भ्रम की स्थिति बनती है, जिससे Corporate Players को Legal Loopholes का फायदा उठाने का मौका मिलता है। Renewable Energy Zones में Land Allocation के लिए स्पष्ट नीति न होने से संघर्ष और बढ़ रहा है।

भारत में Land Use Conflicts के प्रमुख उदाहरण:-

  1. महाराष्ट्र में Farmers Protests Against Solar Projects
    महाराष्ट्र में किसानों ने बड़े पैमाने पर Solar Power प्रोजेक्ट्स का विरोध किया, क्योंकि उनकी Farmland बिना सहमति के अधिग्रहित की जा रही थी। किसानों ने Lease-Based Models को अपनाने की माँग की, जिससे वे अपनी जमीन का उपयोग कर सकें।

  2. Rajasthan में Wind Energy Expansion और Environmental Concerns
    राजस्थान में Wind Energy के तेज़ी से विस्तार के कारण Grazing Lands नष्ट हो रहे हैं, जिससे Pastoral Communities प्रभावित हो रही हैं। Conservationists का कहना है कि बड़े Wind Turbines से Bird Migration Patterns और Local Ecosystem पर बुरा असर पड़ रहा है।

संभावित समाधान और आगे की राह:-

  1. Non-Agricultural और Wastelands का उपयोग
    Cultivable Land के बजाय Renewable Energy प्रोजेक्ट्स को Degraded Land, Desert Regions, और Brownfield Sites में विकसित करना चाहिए ताकि Socio-Economic Disruptions को कम किया जा सके।

  2. Stakeholder Participation और Transparency सुनिश्चित करना
    किसानों और Local Communities को Decision-Making Process में शामिल किया जाना चाहिए। Public-Private Partnerships (PPPs) और Community-Owned Solar Farms को Alternative Models के रूप में अपनाया जा सकता है।

  3. Fair Compensation और Sustainable Relocation Policies
    सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों और ज़मीन मालिकों को Market-Linked Compensation मिले और उनके लिए Livelihood Alternatives तैयार किए जाएँ, जैसे कि Green Jobs Training या Agrivoltaic Farming का समर्थन।

  4. Stronger Policy Framework और Legal Reforms
    Land Use Planning को लेकर Clear Guidelines बनाई जानी चाहिए ताकि संघर्षों को रोका जा सके और Equitable Development सुनिश्चित किया जा सके।

निष्कर्ष:-

हालांकि Renewable Energy भारत की Energy Security और Sustainability Goals के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन Land Acquisition Approach को तुरंत सुधारने की जरूरत है। एक Balanced Strategy जिसमें Clean Energy Expansion के साथ-साथ Community Rights का भी ध्यान रखा जाए, ही Just Energy Transition की दिशा में सही कदम होगा।

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