बेस्ट फसलें फरवरी 2025 :-में महाराष्ट्र के किसान अपनी आय बढ़ाने और खेतों का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए विभिन्न फसलों की खेती कर सकते हैं। इस समय रबी फसलों का मौसम समाप्ति की ओर होता है, और खरीफ फसलों के लिए कुछ समय शेष रहता है। इस बीच, सब्जियों और बागवानी फसलों की खेती एक लाभदायक विकल्प हो सकता है।
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सब्जियों की खेती:
मिर्च: फरवरी-मार्च में मिर्च की रोपाई की जा सकती है। हरी और लाल दोनों प्रकार की मिर्च बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती हैं। उन्नत किस्मों में काशी अनमोल, काशी विश्वनाथ, जवाहर मिर्च-283, अर्का सुफल आदि शामिल हैं। एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 500 ग्राम (ओ.पी. किस्मों के लिए) या 200-225 ग्राम (संकर किस्मों के लिए) बीज की आवश्यकता होती है।
भिंडी: ग्रीष्मकालीन भिंडी की बुवाई फरवरी-मार्च में की जाती है। उन्नत किस्मों में पूसा ए-4, परभनी क्रांति, पंजाब-7, अर्का अभय आदि शामिल हैं। सिंचित अवस्था में प्रति हेक्टेयर 2.5 से 3 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
मटर: फरवरी माह मटर की खेती के लिए उपयुक्त है। यह फसल 60 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है और बाजार में इसकी अच्छी मांग रहती है।
गोभी: फरवरी में गोभी की बुवाई से अच्छी पैदावार मिलती है। यह फसल 2 से 3 महीने में तैयार होती है और बाजार में इसकी मांग बनी रहती है।
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बागवानी फसलों की खेती:
महाराष्ट्र सरकार की “भाऊसाहेब फुंडकर बाग रोपण योजना” के तहत किसान फलदार वृक्षों की खेती कर सकते हैं। इस योजना में आम, काजू, अमरूद, चीकू, सीताफल, अनार, नींबू, नारियल, इमली, अंजीर, आंवला, कोकम, कटहल, जामुन, संतरा, मोसंबी जैसे 16 प्रकार के फलदार वृक्षों की खेती पर 100% सब्सिडी प्रदान की जाती है। किसान इस योजना का लाभ उठाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं।
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अन्य फसलें:
सूरजमुखी: यह एक नकदी फसल है जो अधिक मुनाफा देती है। सूरजमुखी की बुवाई 15 फरवरी तक की जा सकती है। उन्नत किस्मों में मार्डन, बीएसएस-1, केबीएसएस-1, ज्वालामुखी, एमएसएफएच-19, सूर्या आदि शामिल हैं। बुवाई से पहले खेत में पर्याप्त नमी सुनिश्चित करें और उचित जुताई करें।
पेठा (कद्दू): पेठा की खेती दोमट, बलुई और अम्लीय मिट्टी में की जा सकती है। उन्नत किस्मों में पूसा हाइब्रिड-1, काशी हरित कद्दू, पूसा विश्वास, पूसा विकास आदि शामिल हैं। एक हेक्टेयर में 7 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
इन फसलों की खेती करके महाराष्ट्र के किसान फरवरी माह में अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। साथ ही, राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर वे अपनी कृषि को और अधिक लाभदायक बना सकते हैं।
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